*टूट* जाता है *गरीबी* मे वो *रिश्ता* जो खास होता है, हजारो यार बनते है जब *पैसा* पास होता है। रोज़ *याद* न कर पाऊँ तो *खुदग़रज़* ना समझ लेना, दरअसल छोटी सी *जिन्दगी* है। और *परेशानियां* बहुत हैं..!! मैं *भूला* नहीं हूँ *किसी* को... मेरे बहुत *अच्छे दोस्त है ज़माने में* .. बस *जिंदगी उलझी पड़ी* है .. *दो वक़्त की रोटी कमाने में।.* . .